मरने से पहले ही क्यों मरा जाए चलिए मुस्कुराइये , थोड़ा जिया जाए । मरने से पहले ही क्यों मरा जाए चलिए मुस्कुराइये , थोड़ा जिया जाए ।
जीवन महज़ आशा-निराशा की मझधारा है। मेरे साहिल का ना जाने कौन सा किनारा है। जीवन महज़ आशा-निराशा की मझधारा है। मेरे साहिल का ना जाने कौन सा किनारा है।
राजा खड़ा मुस्करा रहा सिपाही सब सो गए। राजा खड़ा मुस्करा रहा सिपाही सब सो गए।
ऐ मुसाफिर जहांँ हम नहीं वहांँ जिंदगी नहीं होती। ऐ मुसाफिर जहांँ हम नहीं वहांँ जिंदगी नहीं होती।
वो रिश्ता आज मेरे ही हाथ नहीं आ रहा है ! वो रिश्ता आज मेरे ही हाथ नहीं आ रहा है !
तू भामण्डल का स्वर्णिम भाग है तू कुदरत की उत्कृष्ट कृति है। तू भामण्डल का स्वर्णिम भाग है तू कुदरत की उत्कृष्ट कृति है।